ऐ सुनहरी, चमकती, सताती धुप,
मेरे नंगे बदन को झुलसती धुप,
पैरों को जलाती, छालों सी चुभती,
नश्तर सी धुप...
गले को सुखाती, तडपाती,
पानी याद दिलाती धुप...
तुझे लाखों करोडो धन्यवाद!
मेरे डगमग करते पाँव,
जो तू न होती ऐ प्यारी धुप,
मुझे याद न आती छाँव!
मेरे नंगे बदन को झुलसती धुप,
पैरों को जलाती, छालों सी चुभती,
नश्तर सी धुप...
गले को सुखाती, तडपाती,
पानी याद दिलाती धुप...
तुझे लाखों करोडो धन्यवाद!
मेरे डगमग करते पाँव,
जो तू न होती ऐ प्यारी धुप,
मुझे याद न आती छाँव!
- मनीष
Superb Work ...
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