आज फिर चाँद निकला है देखो, आज फिर अंधेरा कंही दुबका होगा,
फिर शैतान बन जाएगा , कल जब अमावस होगी,
उसके दिले-कोख में इश्क पल रहा देखो, बड़ी शिद्दत से छुपाया होगा,
गर लोगो की बाद-नज़र से बच रहा, तो मासूम पैदा होगी,
वो खुद की ही आग में जल रही देखो, शायद इसी का नाम शमा होगा,
जिस्म राख होने तक उसके तुम्हे रौशनी होगी,
आज फिर किसी ने दे दी उसे भीख देखो आज फिर तमाशा होगा,
बच्चे तरसेंगे दाने को, उसने छक के पी होगी,
आज वो घर लौट आई अपने देखो, किसी ने दगा किया होगा,
मुह छुपाते नज़र आयेंगे घर वाले कल जब सुबह होगी,
बेहिसाब खुश है माँ उसे खेलता देखकर, ख़ुशी से दिल भर आया होगा,
मगर कल भी बहाएगी आंसू , जब बकरा-ईद होगी,
वो उम्र भर का रिश्ता तोड़ गई खफा होकर, क्या उसने भूलाया होगा,
मैं भरे बाज़ार गिर पडा इस उ म्मीद में, शायद वो मुड़ी होगी,
जिंदगी किसी की अमानत बड़ी हो गई देखो, वो रिश्ता भी देख आया होगा,
दावत देता फिरता है "कि कल घर आना, मेरी बेटी रूखसत होगी".
-मनीष
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