Wednesday, April 11, 2012

क्यों न गांऊ मैं...


क्यों न गांऊ मैं, ना गाने की वज़ह दे दो,
या तुम दिखाई न दो, मुझे वो नज़र दे दो,

उसके ही नूर से रौशन है तुम्हारा ये मकां,
इल्तिजा है किसी कोने में जगह दे दो,

मैं मुट्ठी भर धुप लाया हूँ मंदिर बुहार कर,
आँखों के सितारे बना लो इन्हें, आँचल में जगह दे दो,

एक बच्चे की मुस्कराहट संभाल रखी है मैंने,
तुम होटों पे सजा लो, इस शाम को सहर दे दो,

हर महफ़िल में तन्हाइया घूरती है मुझे,
या तुम आ जाओ या इन्हें ज़हर दे दो,

मैंने दिले-जमीं पर प्रेम बीज बो रखा है,
तुम बरसोगे कभी, बस इक वो खबर दे दो,

क्या हुआ जो पूरे न हुए, तुम वादे करने ना छोडो, 
बस सह सकूं मैं हर बार, मुझे वो जिगर दे दो...

-मनीष




No comments:

Post a Comment