Monday, May 7, 2012

जरा सी बात... ना कर


एक  जरा सी बात  पे खुशियाँ कम  ना कर,
जो मर ही गया आखिर , उसका गम  ना कर,
'तू' और 'मैं' एक  ही है, तू कह के 'हम' ना कर,

बड़ी रंगीन है दुनिया, और इसमें रंग  ना भर,
अलग दुनिया ना बसा लूं, तू मेरा संग  ना कर,
पौधा संभाल तू बीज  की कब्र पे मातम  ना कर,

किसी मुसाफिर का बसेरा है, तू घर कह इज्जत कम ना कर,
इस अंजुमन  में चुपके से आना, तू दूसरों के लिए राह ना कर,
बस चल  मेरे साथ हाथ थाम, कोई रिश्ता बनाने की नादानी ना कर,
बेतरतीब पत्थरों को बिखरा रहने दे, मंदिर बनाने की कोशिश  ना कर,

उम्र के साथ  बढ़ता रह, शरीर में रूक  जाने की जिद्द ना कर,
ऐ  दिल  तू अपना काम कर मुझे उलझाने की जुर्रत ना  कर,
ओरों को भी संभल लेने दे, राह से रोड़ा हटाने की भूल ना कर,
सन्नाटों के गीत सुन नहीं पायेगा, तू साज़ बजाने की कोशिश ना कर,

तुमसे दूर हो जाएगा, उसे इंसान  ही रहने दे, पूजा ना कर.
-मनीष 




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