Wednesday, April 4, 2012

...प्रेम जरूरी है



प्यार मोहताज नहीं रिश्तों का, ना कोई नाम जरूरी है,
पूछो उनसे जिन्होंने निभांये है, दिलों में कितनी दूरी है,
ख़ुशी यां गम में मिलना तुम्हे मतलबी ना बना दे,
आ मिल गले के मिलने के लिए ना ईद जरूरी है,


इन उम्र के फांसलों में, मुझे प्यार की उम्र बता दे कोई,
मंदिर घर हो या चौराहे पर, बस इबादत जरूरी है,


तुम इमां-पसंद, में बुत-ए-कुफ्र, तकरीरें है बहुत,
हर होशियारी भुला इंसान बना दे, वो इक जाम जरूरी है,


जिसे तुम दफना आये सच समझ, वो झूठ था,
खोटें बाज़ार में चलते रहेंगे, मगर हो सच्चा एक सिक्का जरूरी है,


तुमने हाथों से जिस्मों को टटोलकर क्या पाया मनीष,
तुम्हे दूसरों में खुद का अहसास करा दे, वो प्रेम जरूरी है.
-मनीष 




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