Wednesday, March 28, 2012

खुदा के वास्ते



खुदा के वास्ते चुप ना रहो खुदा की तरह,
इकरार ना कर सको तो इशारा ही कर दो इनकार की तरह,
करार दिल को आये जो तुम तवज्जो दो,
बरसे नहीं कोई गम नहीं, मगर छाये तो बादल की तरह, 

सवाले इश्क नहीं अहम् मुझे ऐ महबूब,
तेरे लब हिले बस, और फूल बिखर जाए खुशबू की तरह, 

वादे पर मेरे ऐतबार करो, उसे दर्द ना होगा,
जो मुझमे रहता है मगर बिल्कुल नहीं है मेरी तरह,

शिकायत वो करें जो तुम्हे चाहें और पा ना सकें,
हमने तुम्हें कब खोया, अपनी तन्हाइयों की तरह,

हमने जाना है की इश्क नहीं मरता, मरते इन्सां है,
तुम ना कहो तो सही, हम भी देखेंगे कि ये जान जाएगी किस तरह,

खुदा के वास्ते चुप ना रहो खुदा की तरह...

- मनीष 




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